श्री गीता से सीखने लायक 4 बेहतरीन बातें | ( 4 Great Learnings From Shree Bhagwat Geeta )
Great Learnings From Shree Bhagwat Geeta
4 Great Learnings From Shree Bhagwat Geeta:- नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से आप सभी का हमारे इस ब्लॉग में बहुत-बहुत स्वागत है । मित्रों मैं आज इस ब्लॉग में आपको हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्व रखने वाली किताब श्रीमद्भागवत गीता से चार ऐसी बातें बताऊंगा जो आपके जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी । इस किताब के अंदर आपको आध्यात्मिकता के साथ-साथ बहुत ही दुनिया से जुड़े हुए बहुत सारे ऐसे सवालों के जवाब मिल जाएंगे जो आपको और किसी भी किताब के अंदर नहीं मिलेंगे । हिंदू धर्म के अंदर इस किताब को सबसे ज्यादा पूजनीय माना गया है। इस किताब के अंदर आपको श्री कृष्ण के अनेक देशों का वर्णन मिलता है जो महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए गए थे । जब अर्जुन मोह माया और ऐसे अन्य बहुत सारे कारणों के सामने अपने घुटने टेक देता है और युद्ध लड़ने से मना कर देता है तो उस वक्त भगवान श्री कृष्ण के दिए गए उपदेश उसके अंदर एक नया आत्मविश्वास जगाते हैं और उसको दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया प्रदान करते हैं जिससे वह युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो जाता है । इस किताब के अंदर दुनिया की हर एक समस्या का समाधान छुपा है । जब आपको आपके सवालों के जवाब कहीं भी ना मिले आप का दम घुटने लगे तो मैं आपको इस किताब को पढ़ने की सलाह जरूर देना चाहूंगा । मैं आप सभी से यह निवेदन भी करना चाहूंगा कि आप इस ब्लॉग को अपने परिवार वालों अथवा अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जिससे वह भी इन अनमोल बातों का फायदा उठा सकें ।
Great Learnings From Shree Bhagwat Geeta
1. समस्या के कारण को समझो और परेशानियों से लड़ने का आत्मविश्वास रखो –
जब भी आपके जीवन में कोई कठिन दौर आता है तो आपको एक बात का हमेशा यकीन रखना चाहिए और वह बात है कि जो भी यह हुआ है इसके पीछे जरूर कोई ना कोई कारण है । आपको जीवन में आने वाली कठिनाइयों से कभी भी पीठ दिखाकर नहीं भागना चाहिए बल्कि उनका डटकर सामना करना चाहिए और सोचना चाहिए कि चाहे मैं सफल हो या ना हो परंतु मेरे अंदर ऐसी हजारों परेशानियों से लड़ने की ताकत विकसित हो जाएगी और एक समय ऐसा आएगा जब मेरे सामने बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी घुटने टेक देंगी । कुछ लोगों के जीवन में जब कठिनाइयां आती हैं तो उनके आत्मविश्वास टूट जाते हैं वहीं कुछ लोगों का नजरिया ऐसा होता है कि वह उन कठिनाइयों से ऐसा कुछ सीख लेते हैं कि उनका आत्मविश्वास और अधिक मजबूत हो जाता है ।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपका नौकरी के लिए दिया गया इंटरव्यू अच्छा नहीं जाता है तो आप इस चीज को लेकर के परेशान रहते हैं और आगे कोई भी सख्त कदम नहीं उठाते हैं तो आप भविष्य में कभी भी कोई भी इंटरव्यू दे ही नहीं पाएंगे , वहीं अगर हम यह सोच ले कि हमारे अंदर जरूर कोई विशेष कमी हो गई जिस वजह से हमें इंटरव्यू मैं सेलेक्ट नहीं किया गया तो हमको वह वजह मिटाने की कोशिश करनी चाहिए और अपने आप को दोबारा तैयार करके फिर से वह इंटरव्यू देना चाहिए । जिस तरह आपके जीवन में अच्छा वक्त आता है उसी तरह आपके जीवन में बुरा वक्त भी आता है और हमें इन दोनों को ही सामान्य नजरिए से देखना चाहिए । जब हम को यह बात समझ आ जाती है कि दुख और सुख दोनों ही इस जीवन के अभिन्न अंग है तो हम को परेशानी में भी ज्यादा तकलीफ महसूस नहीं होती है बल्कि हम अपने आत्मविश्वास के दम पर उस परेशानी से लड़ने का कोई ना कोई हल खोज लेते हैं ।
2. काम करते वक़्त उसके परिणाम से ज्यादा अपनी महनत पर ध्यान दो –
भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि हमें काम करना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए और यही बात मैं आपको अलग तरीके से समझाने वाला हूं । दरअसल इस बात का मतलब यह है कि जब हम किसी काम को कर रहे हो तो हमें उस वक्त उसके परिणाम पर ध्यान न देकर उस काम की शुद्धता में ध्यान देना चाहिए अर्थात हम उस वक्त उस काम को कितने अच्छे तरीके से और कितने ज्यादा लगा उसे कर पाते हैं यह हमारी सफलता यानी उस काम के परिणाम को दर्शाता है । यदि हमारा पूरा ध्यान कार्य के परिणाम पर रहेगा तो हम कभी भी अपना ध्यान काम पर लगा ही नहीं पाएंगे । सामान्य शब्दों में कहा जाए तो किसी भी काम को करते वक्त हमें इस काम में पूरी तरह अपने आप को खो देना चाहिए । हमको काम करते वक्त काम के परिणाम की उम्मीद इसलिए भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि अगर परिणाम हमारी उम्मीद के अनुसार नहीं आता है तो हम गहरे तनाव में चले जाते हैं और दोबारा उस काम को करने की हमारे अंदर हिम्मत ही नहीं जुटा पाते हैं ।
3. भौतिक वस्तुओं से ज्यादा लगाव दुःख का कारण –
भगवान श्री कृष्ण भौतिक चीजों से ज्यादा लगाओ ना करने का ज्ञान देते हुए कहते हैं कि हम इस दुनिया में खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ जाते हैं अर्थात हमें किसी भी भौतिक चीज से इतना अधिक लगाव नहीं करना चाहिए कि उस चीज को प्राप्त करने के लिए हम दूसरों को नुकसान पहुंचाने लग जाए । इसी के साथ दूसरी और यह भी बात समझनी चाहिए कि भौतिक चीजों का अस्तित्व हमेशा नहीं होता है इसलिए जब हमसे हमारे लगा वाली कोई वस्तु छीन ली जाती है या फिर किसी कारणवश वह वस्तु हमसे दूर हो जाती है तो हम दुखी हो जाते हैं । इस तरह भौतिक वस्तुएं हमारे जीवन में दुख का कारण भी बन जाती हैं । अपने मन को भौतिक वस्तुओं में डूब आने पर हमारे अंदर मानव मूल्यों की कमी आ जाती है और हम वास्तविक चीजों से दूर होने लगते हैं ।
4. जीवन की भागदौड़ से दूर स्वयं के लिए समय निकालें –
आप एक चीज भली-भांति जानते हैं और वह यह है कि आप चाहे जितना पैसा कमा लें आप कभी भी पैसे से मन की शांति नहीं खरीद सकते हैं । आज इस तरह की हमारी लाइफ स्टाइल है उसमें हमको थोड़ा भी वक्त स्वयं के साथ बिताने के लिए नहीं मिलता बल्कि हम 24 घंटे चिंताओं और परेशानियों से घिरे रहते हैं । मन की शांति के लिए श्री कृष्ण भागवत गीता में ध्यान अर्थात मेडिटेशन को सबसे उत्तम बताते हैं । दुनिया की चकाचौंध से दूर आपको किसी शांत जगह पर आंखें बंद कर अपने आप को समझने का प्रयास करना और अपने भीतर शांति की अनुभूति करने का प्रयास करना आपकी ध्यान का एक हिस्सा हो सकता है । अब तो नवीनतम विज्ञान भी यह मानने लगी है कि ध्यान करने से हमारे दिमाग की कठिन समय में निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है और इससे हमारे फोकस में भी वृद्धि होती है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना कम से कम 15 मिनट किसी शांत जगह पर बैठकर ध्यान करना चाहिए ।
मित्रों मुझे पूरी उम्मीद है आपको यह बातें जरूर पसंद आई होंगी और आप इन बातों को अपने जीवन में जरूर अपनाएंगे । इसी आशा के साथ हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं ।
धन्यवाद!