सफल जीवन जीने का राज | Formula For Successful Life

Formula For Successful Life

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नमस्कार दोस्तों,                  

Formula For Successful Life:- नदी में किश्ती पानी के बहाव के साथ उस पर तब तक तैरती रहती है जब तक कि उसके अंदर बाहर ही पानी अंदर प्रवेश नहीं कर जाता। चाहे कितनी भी तेज हवाएं चले क्या सर तूफान आए बिना किश्ती के अंदर पानी जाए वह नहीं डूब सकती । हमारा जीवन भी उसी किश्ती की तरह आगे बढ़ता है। जीवन में अनेकों प्रकार की कठिनाइयां और मुश्किलें आती है,परंतु इन सभी से लड़ते हुए हम आगे बढ़ते रहते हैं, जब तक की हमारे अंदर बाहरी बुराइयां प्रवेश ना करें। जिस तरह कश्ती के अंदर पानी जाने से वह डूब जाती है, ठीक उसी प्रकार जब हमारे अंदर बाहर से बुराइयां प्रवेश करती हैं तो हमारे डूबने का वक्त शुरू हो जाता है

1.  Impact of People On Goal – 

मित्रों इससे फर्क नहीं पड़ता आप शारीरिक रूप से कितने मजबूत हैं बल्कि आपका मानसिक रूप से मजबूत होना अति आवश्यक होता है। दुनिया के अंदर ढेर सारी बुराइयां हैं जिन से लड़ने के लिए आपकी शारीरिक शक्ति के बजाय मानसिक शक्ति की अधिक आवश्यकता होती है। आप अपने जीवन में कितना ही अच्छा कार्य करें या फिर कितना ही बुरा कार्य करें आपको लोगों की बातें सुननी ही पड़ेंगी। ऐसी स्थिति में वह लोग हिम्मत हार कर बैठ जाते हैं जो मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। आपको अपनी चेतना इस हद तक विकसित करनी चाहिए कि लोग अपनी बातों से आपको निर्धारित किए गए लक्ष्य से दूर ना कर पाए। हम लोगों के तानों  का शिकार इसलिए नहीं होते कि लोगों के ताने मजबूत होते हैं बल्कि हम इसलिए होते हैं क्योंकि हमारी मानसिक शक्ति कमजोर होती है।

दोस्तों आपकी मानसिक शक्ति आपको उस वक्त बेहद मदद करती है, जब आप इस दुनिया में अपने आप को लेकर बहुत ज्यादा अकेला महसूस करते हैं। उस वक्त आपके लिए लोगों की राय मायने नहीं रखती बल्कि आप खुद से कितना प्यार करते हैं यह मायने रखता है, आपके लिए अपना जीवन कितना महत्वपूर्ण है यह मायने रखता है, आप अपने कीमती जीवन की कितनी परवाह करते हैं यह मायने रखता है, आपके लक्ष्य के प्रति कितनी सत्य निष्ठा है यह मायने रखता है| लोग आपके काम के प्रति कितना सम्मान और इज्जत प्रकट करते हैं यह आपकी सफलता में भागीदारी नहीं निभाता बल्कि आपसे अपने काम को कितना प्यार करते हैं और उसे इज्जत देते हैं यह मायने रखता है। जब आपके अंदर अपने काम को लेकर प्यार नहीं होगा तो मुश्किल वक्त ही आते ही आप उस काम को छोड़ देंगे।

2. Motivation, Consistency And Willingness – 

दोस्तों आपको मैं यहां पर एक बहुत महत्वपूर्ण और बारीक बात समझाने वाला हूं। हमारे अंदर कुछ इच्छाएं होती हैं और कुछ हमारे लक्ष्य होते हैं। जब हम लोगों की जिंदगी और शब्दों से प्रेरित होकर इच्छाओं को हकीकत में बदलने की कोशिश करते हैं तो इस काम पर आप तब तक टिके रहेंगे जब तक आपको प्रेरणा मिलती रहेगी । लोगों की शोहरत  को देखकर हमारे अंदर भावनात्मक रूप से प्रेरणा पैदा होती है जो किसी भी काम पर लंबे समय तक टिके रहने के लिए किसी काम के नहीं होती। वहीं लक्ष्य एक अलग महत्व रखते हैं। जब आप अपना कोई भी लक्ष्य तय करते हैं तो उसके पीछे आप की विभिन्न परिस्थितियां होती हैं, आपका उस काम को लेकर जुनून शामिल होता है, विभिन्न जिम्मेदारियां उस लक्ष्य से जुड़ जाती हैं और ऐसे लक्ष्य में काम करते वक्त आपको अधिकतर समय किसी भी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उस काम को करने के लिए प्रेरणा का स्रोत आपके स्वयं के अंदर होता है ।

इसलिए अपनी इच्छाओं के वशीभूत होकर किसी भी कार्य का चुनाव आपको नुकसानदेह हो सकता है। आज कोई भी व्यक्ति जिस मुकाम पर है उसके लिए उसके सामने आप की परिस्थितियों के बिल्कुल अलग परिस्थितियां रही होंगी। उस व्यक्ति ने उसकी परिस्थितियों के अनुसार कदम उठाए होंगे और लक्ष्य का चुनाव किया होगा। ठीक है वैसे ही किसी भी व्यक्ति की नकल करने से पहले आपको अपनी परिस्थितियां देखनी होगी और उसी के अनुसार अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा।

3. Focus,Mind-Body And Goal-

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करते समय आपका शरीर और दिमाग कितना संतुलन में है यह अति महत्वपूर्ण होता है। जो आपके अंदर अपने लक्ष्य के प्रति काम करने के लिए सच्चा जुनून होगा तो मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से आपको किसी बाहरी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं होती बल्कि ऐसे में दोनों ही चीजें अपने आप में संतुलन बना लेती हैं।
मित्रों यहां पर मैं एक साधारण सा प्रश्न आप लोगों से पूछना चाहता हूं – जब आप अपना कोई भी पसंदीदा खेल खेलते हैं तो क्या आपको उस वक्त किसी भारी मोटिवेशन की आवश्यकता होती है अथवा क्या आपका दिमाग और आपका शरीर संतुलन में नहीं रह पाता है ? आप लोगों के लिए इसका जवाब देना बहुत आसान होगा क्योंकि हमें उस में बहुत ज्यादा मजा आता है। आप लोग सोच रहे होंगे कि अपना पसंदीदा खेल खेलना और अपने लक्ष्य के लिए किसी काम में मेहनत करना दोनों ही चीजें अलग अलग होती है परंतु मैं आपको बता दूं यह एक बहुत बड़ा झूठ है। आप लोग कहोगे कि जब हम खेलते हैं तो हमें वहां किसी प्रकार की कोई समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता जबकि जब हम अपने लक्ष्य के लिए किसी कार्य को करते हैं तो वहां पर विभिन्न मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परंतु सच तो यह है कि जब हम अपना पसंदीदा खेल खेलते हैं तो उस वक्त हम उस में इतने मशगूल हो जाते हैं कि हमारा ध्यान किसी भी समस्या पर नहीं जाता है,यहां तक कि हमें काफी भारी चोट लग जाती है तब भी हमारा मन,उस खेल को छोड़ने का नहीं करता है। शारीरिक और मानसिक समस्याएं तब भी होती हैं और जब हम अपने लक्ष्य के लिए काम करते हैं वह तब भी विद्यमान होती है बस फर्क होता है हमारे ध्यान देने का और ध्यान नहीं देने का ।

4. Role Of Habits –

मैंने एक साथ ही ने मुझसे प्रश्न किया था कि हमारा पसंदीदा खेल हम कुछ वक्त के लिए खेलते हैं जबकि हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें लंबे समय तक लगातार कार्य योजना पर काम करना होता है। यहां पर एक अलग चीज है जो आपको Consistent बनाती हैं जो है किसी भी काम को करने की आदत डालना । लंबे समय तक किए जाने वाले कार्यों को पूरी क्षमता के साथ करने के लिए उनका आदत में होना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि हम कभी भी कुछ मजबूरियां और पसंद को ध्यान में रखकर लगातार कार्य नहीं कर पाते हैं । आइए इस महत्वपूर्ण बिंदु को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं –

एक विद्यार्थी की परिस्थिति है कि उसके घर में आर्थिक समस्या है, और उसने तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसी सरकारी नौकरी के लिए पढ़ने का निर्णय लिया है अर्थात उसका लक्ष्य एक सरकारी नौकर बनना है।
चूंकी किसी भी सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए एक लंबे वक्त तक पूरी क्षमता के साथ मेहनत करनी होती है इसलिए यहां पर वह विद्यार्थी लगातार अपने घर की समस्याओं को याद करते हुए पढ़ाई नहीं कर पाएगा। अगर उसको एक अच्छे तरीके से लंबे समय तक पढ़ाई जारी रखनी है, तो उसे अपनी आदत में लेकर आना होगा। आपने कहीं ना कहीं जरूर पढ़ा होगा कि हमारे जीवन में जो कुछ भी हम प्राप्त करते हैं,वह हमारी छोटी और बड़ी आदतों का ही परिणाम होता है। इसलिए किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत सारी परिस्थितियां और अन्य Parameters भी भूमिका निभाते हैं। इसलिए मैंने आपको कहा था कि कभी भी किसी की सूरत और वर्तमान परिस्थितियों को देखकर या उन से प्रेरित होकर अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं करना चाहिए बल्कि आपको लक्ष्य निर्धारित करते वक्त अपनी स्वयं की परिस्थितियां, आपका लक्ष्य के प्रति लगाव, लक्ष्य को पूरा करने का कारण, लक्ष्य पर कार्य करने के लिए जरूरी जानकारी इन सभी चीजों के बारे में सोचना चाहिए ।

मुझे पूरा भरोसा और उम्मीद है कि आपको हमारा यह ब्लॉक पसंद आया होगा और आप इससे किसी भी जरूरतमंद साथी को शेयर करके अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

धन्यवाद !

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